गोरी हो या काली हो
छोटी हो या लंबी हो,
मोटी हो या पतली हो
श्रृंगारित हो या
मिट्टी गारे से सनी हो
चेहरे पर झुर्रियों वाली हो ,
परी हो कमसिन हो,
नासमझ हो,
मेंटली डिसएबल हो,
उम्र दराज हो,
प्रौढ़ हो
या वृद्ध हो।
जैसी भी हो ईश्वर की
सुंदर कृति हो ,
प्रकृति हो,
बहन हो,
बेटी हो,
पत्नी हो,
माँ के रूप में
फरिश्ता हो।
तुम ऊर्जावान हो
स्नेहमई हो,
संस्कृति हो,
संस्कार हो,
रिश्तो की मधुर डोर हो,
प्रगति हो,
इन सबसे ऊपर
निस्वार्थ ग्रहणी भी हो।
तुझ से ही उत्साह है
उमंग है,
तरंग है,
होली, दीवाली,
रक्षा बंधन
छठ, करवा चौथ,
तीज-त्यौहार है।
तुमसे ही व्यवहार है,
तू नारी जगत की शान है
स्वंय के पहचान की धुरी है।
तू पूर्ण है, सम्पूर्ण है,
तू सभी भावनाओं की खान है
अंतर्मन के अंतर्जाल की स्वामिनी है।
असलम शेख रत्नागिरी
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